हनुमान जी ने क्यों लगाया अपने पूरे शरीर पर सिंदूर? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा
भगवान हनुमान का पूजन और सिंदूर का महत्व
भगवान हनुमान को संकटमोचन के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि यदि श्रद्धा और विधि-विधान (Faith and Rituals) से उनका पूजन किया जाए, तो वह अपने भक्तों के सभी संकट दूर कर देते हैं। मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से हनुमान जी को समर्पित माना गया है। इस दिन यदि उन्हें सिंदूर अर्पित किया जाए, तो वह अत्यधिक प्रसन्न होते हैं।
मंदिरों में हनुमान जी की प्रतिमा को सिंदूर से रंगा हुआ देखा जाता है। पूजा के समय भक्त उनकी प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाते और उनका श्रृंगार करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि हनुमान जी के पूरे शरीर पर सिंदूर लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे एक रोचक पौराणिक कथा (Mythology) है।
सिंदूर से प्रसन्न होते हैं हनुमान जी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई भक्त किसी बड़ी समस्या से जूझ रहा हो, तो हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने से उसकी परेशानियां दूर हो सकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि सिंदूर चढ़ाने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि (Happiness and Prosperity) प्राप्त होती है।
पौराणिक कथा: हनुमान जी और सिंदूर की कहानी
त्रेता युग की इस पौराणिक कथा के अनुसार, माता सीता रोज अपनी मांग में सिंदूर लगाती थीं। एक दिन हनुमान जी ने माता सीता को सिंदूर लगाते हुए देखा और उनकी जिज्ञासा जाग उठी। हनुमान जी ने विनम्रता से पूछा, “माता, आप अपनी मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं?”
माता सीता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “यह सिंदूर मैं अपने स्वामी श्रीराम की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए लगाती हूं। यह मेरे प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।”
हनुमान जी इस उत्तर से अत्यधिक प्रभावित हुए। उन्होंने सोचा कि अगर थोड़ा सा सिंदूर लगाने से प्रभु श्रीराम की उम्र लंबी हो सकती है, तो क्यों न पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर उन्हें अमर कर दिया जाए। इसी विचार से प्रेरित होकर हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया।
सिंदूर चढ़ाने की परंपरा का आरंभ
जब भगवान श्रीराम ने हनुमान जी को पूरे शरीर पर सिंदूर लगाए देखा, तो वह उनके निस्वार्थ प्रेम और समर्पण (Selfless Love and Devotion) से अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा, “हनुमान, तुम्हारी भक्ति और प्रेम अतुलनीय है। जो भी भक्त तुम्हें सिंदूर चढ़ाएगा, उसे मेरे आशीर्वाद के साथ तुम्हारा भी विशेष आशीर्वाद मिलेगा।”
तब से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई। यह परंपरा भक्तों के लिए उनकी भक्ति और प्रभु श्रीराम के प्रति श्रद्धा का प्रतीक बन गई।
सिंदूर चढ़ाने के लाभ
संकटों का नाश: सिंदूर चढ़ाने से जीवन के सभी कष्ट और परेशानियां दूर होती हैं।
भक्त पर कृपा: हनुमान जी प्रसन्न होकर अपने भक्त को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
आध्यात्मिक शक्ति: सिंदूर चढ़ाने से आत्मविश्वास और मानसिक शांति मिलती है।
कष्टों से मुक्ति: विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को सिंदूर चढ़ाने से भक्त के जीवन में चल रही बाधाएं समाप्त होती हैं।
हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा न केवल भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि उनके निस्वार्थ प्रेम की कहानी भी है। यह कथा हमें सिखाती है कि समर्पण और प्रेम से सब कुछ संभव है।
FAQs
हनुमान जी को किस दिन सिंदूर चढ़ाना चाहिए?
मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाना शुभ माना जाता है।
क्या सभी भक्त हनुमान जी को सिंदूर चढ़ा सकते हैं?
हां, सभी भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ हनुमान जी को सिंदूर अर्पित कर सकते हैं।
हनुमान जी को सिंदूर क्यों प्रिय है?
यह उनके प्रभु श्रीराम के प्रति निस्वार्थ प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
क्या सिंदूर चढ़ाने से सच में संकट दूर होते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सिंदूर चढ़ाने से भक्त की परेशानियां कम होती हैं और वह हनुमान जी की कृपा प्राप्त करता है।
सिंदूर चढ़ाने की सही विधि क्या है?
सबसे पहले भगवान हनुमान की प्रतिमा को साफ करें, फिर सिंदूर और चमेली के तेल से उनका श्रृंगार करें। ध्यान और प्रार्थना के बाद सिंदूर अर्पित करें।