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क्या है भगवान शिव के तीसरे नेत्र की कहानी? भोलेनाथ ने माता पार्वती को बताया था इसका रहस्य

भगवान शिव, जिन्हें त्रिलोचन और त्रिनेत्रधारी के नाम से भी जाना जाता है, संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं। मान्यता है कि जब भी भोलेनाथ रौद्र रूप में आते हैं और सृष्टि विनाश (Destruction of Creation) की ओर बढ़ती है, तब उनकी तीसरी आंख खुलती है। लेकिन यह तीसरी आंख उन्हें कैसे प्राप्त हुई और इसका क्या रहस्य है? श्रावण मास के इस पावन अवसर पर आइए जानते हैं इस कथा का विस्तार।

भगवान शिव
भगवान शिव

भगवान शिव और उनकी तीसरी आंख का रहस्य

शास्त्रों के अनुसार, जब भी सृष्टि पर संकट आता है, जब अधर्म बढ़ता है और जब विनाश की आहट सुनाई देती है, तब भगवान शिव की तीसरी आंख खुलती है। यह नेत्र उनके ललाट पर स्थित है और इसे ज्ञान, प्रकाश और विनाश का प्रतीक माना जाता है। शिव के तीन नेत्रों को भूत, भविष्य और वर्तमान का द्योतक भी कहा गया है।

महादेव की तीसरी आंख से जुड़ा रहस्य

मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव हिमालय पर्वत पर एक सभा कर रहे थे। उसी समय माता पार्वती वहां आईं और उन्होंने भोलेनाथ की दोनों आंखों को अपने हाथों से बंद कर दिया। जैसे ही माता पार्वती ने ऐसा किया, संपूर्ण सृष्टि (Entire Creation) में अंधकार छा गया। सूर्य की रोशनी लुप्त हो गई, जीव-जंतु भयभीत हो गए, और सृष्टि तेजी से विनाश की ओर बढ़ने लगी।

जब भगवान शिव ने यह भयानक स्थिति देखी, तो वे चिंतित हो उठे। सृष्टि के संतुलन को बनाए रखने के लिए उनके ललाट पर एक ज्योति पुंज प्रकट हुआ। यही ज्योति पुंज उनकी तीसरी आंख बना। जब यह नेत्र खुला, तो संपूर्ण ब्रह्मांड पुनः प्रकाशमान हो उठा और सृष्टि विनाश से बच गई।

तीसरी आंख का आध्यात्मिक एवं दार्शनिक महत्व

भगवान शिव के तीसरे नेत्र को केवल विनाश का प्रतीक नहीं माना जाता, बल्कि यह ज्ञान, तपस्या और आत्मबोध (Knowledge, penance and self-realization) का भी प्रतीक है। शिव के इस नेत्र को योगियों और साधकों के लिए ‘अजना चक्र’ के रूप में भी देखा जाता है, जिससे आत्मज्ञान प्राप्त होता है।

महादेव की तीसरी आंख और युग परिवर्तन

शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि जब भी भगवान शिव अपनी तीसरी आंख खोलते हैं, तब एक नए युग की शुरुआत होती है। यही कारण है कि उन्हें ‘संहारकर्ता’ और ‘नए युग के प्रवर्तक’ के रूप में भी पूजा जाता है।

भगवान शिव की तीसरी आंख केवल उनका क्रोध नहीं, बल्कि सृष्टि के संतुलन का भी प्रतीक है। जब भी संसार में अन्याय, अधर्म और अज्ञानता (injustice, wrongdoing and ignorance) का अंधकार बढ़ता है, तब महादेव की तीसरी आंख खुलती है और सत्य का प्रकाश फैलता है। यही कारण है कि शिव भक्ति में अर्पित होने वाले भक्त उनकी तीसरी आंख के रहस्य को समझने का प्रयास करते हैं और उनसे ज्ञान एवं शांति की कामना करते हैं।

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