श्री राम की बड़ी बहन शांता जिन्हें उनकी मौसी ने लिया था गोद, जानें पूरी कहानी
रामायण में भगवान श्री राम और उनके भाइयों से जुड़े अनेक प्रसंग सुनने को मिलते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि श्री राम की एक बड़ी बहन भी थीं। उनकी बहन शांता के बारे में हिंदू धर्मग्रंथों (Hindu scriptures) में विशेष उल्लेख मिलता है, लेकिन यह जानकारी आम जनमानस में बहुत प्रचलित नहीं है। आइए जानते हैं शांता के जन्म, उनके गोद दिए जाने की कथा, विवाह और उनके जीवन से जुड़े रोचक पहलुओं के बारे में।

भगवान राम की बहन शांता कौन थीं?
अधिकांश लोग यही मानते हैं कि राजा दशरथ के केवल चार पुत्र थे—श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। लेकिन प्राचीन ग्रंथों (Ancient Texts) में उल्लेख मिलता है कि उनकी एक पुत्री भी थी, जिनका नाम शांता था। वह चारों भाइयों से बड़ी थीं और अत्यंत गुणवान, विदुषी एवं कला-कौशल में निपुण थीं।
हालांकि, तुलसीदास रचित रामचरितमानस (Ramcharitmanas) में शांता का कोई उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में उनका जिक्र किया गया है।
शांता को गोद क्यों दिया गया?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, शांता राजा दशरथ और माता कौशल्या की संतान थीं। लेकिन कौशल्या ने अपनी बहन वर्षिणी, जो कि संतानहीन थीं, को अपनी पुत्री गोद दे दी थी।
कैसे हुआ गोद लेने का निर्णय?
वर्षिणी अपने पति अंगदेश के राजा रोमपद के साथ अयोध्या आईं।
वे काफी समय से संतान की इच्छा कर रही थीं।
अपनी बहन कौशल्या से अनुरोध किया कि वे अपनी बेटी उन्हें सौंप दें।
राजा दशरथ और माता कौशल्या ने अपनी बहन की भावनाओं को समझा और शांता को गोद देने का निर्णय लिया।
इसके बाद शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गईं।
शांता ने अंगदेश में ही शिक्षा ग्रहण की और वे वेद, शास्त्र, कला, संगीत और शिल्प में निपुण हो गईं।
शांता और श्रृंगी ऋषि का विवाह
शांता का विवाह एक अत्यंत प्रसिद्ध ऋषि श्रृंगी ऋषि से हुआ था। उनके विवाह की कथा भी बहुत रोचक है।
कैसे हुआ विवाह?
एक बार राजा रोमपद के दरबार में एक ब्राह्मण आए और उन्होंने राजा से वर्षा के दौरान खेती की समस्या का समाधान करने का आग्रह किया। लेकिन राजा उस समय अपनी पुत्री शांता के साथ वार्तालाप में व्यस्त थे और ब्राह्मण की बात को अनसुना कर दिया।
ब्राह्मण नाराज होकर वहां से चले गए। चूंकि वे इंद्रदेव के परम भक्त थे, इसलिए इंद्र देव भी अप्रसन्न हो गए और उन्होंने अंगदेश में अकाल की स्थिति पैदा कर दी। राज्य में बारिश रुक गई और लोग भयंकर संकट में पड़ गए।
राजा रोमपद ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए श्रृंगी ऋषि को आमंत्रित (Invited) किया और उनसे वर्षा के लिए यज्ञ करवाने का अनुरोध किया।
यज्ञ के दौरान राजा ने शांता को श्रृंगी ऋषि की सेवा का दायित्व सौंपा। शांता की सेवा और भक्ति से प्रसन्न होकर श्रृंगी ऋषि ने राजा रोमपद के आग्रह पर शांता से विवाह करने का निर्णय लिया।
श्रृंगी ऋषि का आश्रम और शांता का जीवन
विवाह के बाद श्रृंगी ऋषि और शांता सरयू नदी के तट पर स्थित अपने आश्रम में निवास करने लगे। यह आश्रम आज भी प्रसिद्ध है और इसे चमत्कारी माना जाता है।
आश्रम से जुड़े चमत्कार
हर वर्ष जब भारी बारिश के कारण सरयू नदी में बाढ़ आती है, तब आसपास के गाँव जलमग्न हो जाते हैं।
लेकिन श्रृंगी ऋषि का आश्रम सुरक्षित रहता है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि पवित्र सरयू माता का जल मंदिर के अंदर तक आता है लेकिन श्रृंगी ऋषि के मंदिर में प्रवेश नहीं करता, बल्कि चरण पखारकर लौट जाता है।
यहां कार्तिक पूर्णिमा, रामनवमी और चैत्र महीने में विशेष मेले का आयोजन होता है।
श्रृंगी ऋषि के आश्रम को अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है और इसे देखने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
हिमाचल प्रदेश में भी है माता शांता का मंदिर
भगवान राम की बहन शांता का एक अन्य प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है।
यह मंदिर कुल्लू शहर से लगभग 50 किमी दूर स्थित है।
यहां देवी शांता और श्रृंगी ऋषि की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
राम जन्मोत्सव और दशहरे के समय इस मंदिर में विशेष आयोजन किए जाते हैं।
यह मंदिर सनातन धर्म (Sanatana Dharma) के अनुयायियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
शांता का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
शांता केवल राजा दशरथ की पुत्री और श्रीराम की बहन ही नहीं, बल्कि एक विदुषी, तेजस्विनी और धार्मिक नारी थीं।
उन्होंने अपने ज्ञान और साधना से ऋषियों और साधकों के लिए प्रेरणा का कार्य किया।
उनका विवाह एक महर्षि से हुआ, जिनकी कृपा से आगे चलकर राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति का वरदान मिला।
श्रृंगी ऋषि ने ही दशरथ के यज्ञ में आहुति दी थी, जिसके फलस्वरूप श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
शांता की कथा हमें त्याग, धर्म और सेवा का पाठ सिखाती है।
भगवान श्रीराम की बहन शांता का जीवन त्याग, सेवा और ज्ञान का प्रतीक है। हालांकि रामायण में उनके बारे में तुलसीदास जी ने उल्लेख नहीं किया, लेकिन वाल्मीकि रामायण में उनके जीवन का विस्तृत वर्णन मिलता है।
वे राजा दशरथ और माता कौशल्या की पुत्री थीं।
संतानहीन मौसी को सौंपे जाने के बाद वे अंगदेश की राजकुमारी बनीं।
उनका विवाह महर्षि श्रृंगी से हुआ, जिनका आश्रम सरयू तट पर स्थित है।
आज भी श्रृंगी ऋषि और शांता से जुड़े मंदिर धार्मिक आस्था के केंद्र बने हुए हैं।
श्रीराम के जीवन में उनकी बड़ी बहन का विशेष महत्व था, और उनकी कथा हिंदू धर्म में एक प्रेरणादायक गाथा के रूप में देखी जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
क्या श्रीराम की कोई बहन भी थीं?
हां, वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीराम की एक बड़ी बहन थीं, जिनका नाम शांता था।
शांता को किसने गोद लिया था?
राजा दशरथ और माता कौशल्या ने अपनी बहन वर्षिणी को शांता को गोद दे दिया था।
शांता का विवाह किससे हुआ था?
शांता का विवाह महर्षि श्रृंगी से हुआ था, जो एक महान तपस्वी ऋषि थे।
श्रृंगी ऋषि कौन थे?
श्रृंगी ऋषि एक प्रसिद्ध तपस्वी थे, जिन्होंने राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ में आहुति दी थी, जिससे श्रीराम और उनके भाइयों का जन्म हुआ।
क्या शांता से जुड़े मंदिर आज भी मौजूद हैं?
हां, उत्तर प्रदेश में श्रृंगी ऋषि का आश्रम और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में शांता देवी का मंदिर आज भी स्थित है।