भगवान शिव की आठ संताने: जानिए कौन-कौन हैं उनके पुत्र-पुत्रियां…
भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। अधिकतर लोग यही जानते हैं कि भगवान शिव और माता पार्वती के दो पुत्र हैं—भगवान गणेश और कार्तिकेय (Ganesha and Kartikeya)। लेकिन बहुत कम लोगों को यह ज्ञात है कि शिवजी की अन्य संताने भी हैं, जिनका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में मिलता है। आइए जानते हैं भगवान शिव की आठ संतानों के बारे में विस्तार से।
1. भगवान गणेश
भगवान गणेश शिवजी और माता पार्वती के पुत्र हैं। पौराणिक कथाओं (Mythology) के अनुसार, गणेश जी के जन्म को लेकर कई मत प्रचलित हैं। कुछ कथाओं में कहा गया है कि माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से गणेश जी का निर्माण किया, जबकि अन्य कथाओं के अनुसार, गणेश जी का जन्म भगवान शिव और माता पार्वती के रहस्यमय संयोग से हुआ था।
गणेश जी को ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है, क्योंकि वे भक्तों के समस्त संकटों को दूर करते हैं। उनकी पूजा किसी भी शुभ कार्य से पहले की जाती है।
2. भगवान कार्तिकेय
कार्तिकेय को स्कंद, मुरुगन और कुमारस्वामी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राक्षस तारकासुर का आतंक बढ़ गया था, तब देवताओं को बताया गया कि केवल शिव-पार्वती की संतान ही उसका वध कर सकती है।
भगवान शिव के क्रोध से उत्पन्न अग्नि को अग्निदेव (Agnidev) भी सहन नहीं कर सके, इसलिए गंगा जी ने इस अग्नि को सरवन झील तक पहुंचाया, जहां एक छह मुख वाले बालक का जन्म हुआ। छह अप्सराओं ने इस बालक का पालन-पोषण किया, जिससे उनका नाम कार्तिकेय पड़ा। बाद में माता पार्वती ने उन्हें अपने पुत्र के रूप में स्वीकार किया। कार्तिकेय ने देवताओं की सेना का नेतृत्व कर तारकासुर का अंत किया।
3. अशोक सुंदरी
पद्म पुराण में भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री अशोक सुंदरी का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि माता पार्वती अकेलापन महसूस कर रही थीं, इसलिए उन्होंने कल्पवृक्ष (Kalpavriksha) से एक सुंदर पुत्री की इच्छा की। इसी इच्छा से एक कन्या का जन्म हुआ, जिसे ‘अशोक सुंदरी’ नाम दिया गया। उनका नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने माता पार्वती के अकेलेपन (अशोक) को दूर किया।
4. मनसा देवी
हिंदू पौराणिक कथाओं में मनसा देवी को ‘नागिनी’ या ‘विशाहरा’ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि वे ऋषि कश्यप और कद्रू की बेटी तथा नागराज वासुकी (Nagraj Vasuki) की बहन थीं। कई कथाओं में उन्हें भगवान शिव की पुत्री भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उनके पिता और पति ने उन्हें अस्वीकार कर दिया था, जिससे उन्हें कठिन तपस्या करनी पड़ी। मनसा देवी की पूजा विशेष रूप से सांपों के काटे जाने पर रक्षा के लिए की जाती है।
5. देवी ज्योति
तमिलनाडु के विभिन्न शिव मंदिरों में देवी ज्योति की पूजा की जाती है। मान्यता है कि वे भगवान शिव के तेज से उत्पन्न हुई थीं। एक अन्य कथा के अनुसार, माता पार्वती के माथे से निकले दिव्य प्रकाश से ज्योति का जन्म हुआ था। इसलिए, उन्हें शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
6. अंधक
धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव ध्यान में लीन थे। इसी दौरान माता पार्वती ने पीछे से आकर उनकी आंखें बंद कर दीं। इससे पूरे संसार में अंधकार छा गया।
जैसे ही माता पार्वती ने शिवजी के शरीर को स्पर्श किया, उनके शरीर से पसीने की कुछ बूंदें गिरीं, जिससे एक बालक का जन्म हुआ। अंधकार में जन्म लेने के कारण उसका नाम ‘अंधक’ रखा गया। बाद में वह बड़ा होकर असुरों का राजा बना, लेकिन जब उसने माता पार्वती से विवाह की इच्छा जताई, तो भगवान शिव (Lord Shiva) ने उसका वध कर दिया।
7. जालंधर
हिंदू पौराणिक कथाओं में जालंधर को असुरों का राजा माना गया है। मान्यता है कि जब भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली, तो क्रोध की अग्नि समुद्र में जा गिरी, जिससे जालंधर का जन्म हुआ।
जालंधर एक शक्तिशाली योद्धा था, जिसने देवताओं को भी पराजित कर दिया था। पद्म पुराण के अनुसार, पंजाब का जालंधर शहर इन्हीं के नाम पर बसा हुआ है। हालांकि, बाद में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की योजना से भगवान शिव ने जालंधर का वध कर दिया।
8. भगवान अयप्पा
भगवान अयप्पा की कथा भी बहुत रोचक है। जब असुर महिषासुर की बहन महिषी ने घोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से अजेय होने का वरदान मांगा, तो उसे यह वरदान मिला कि केवल शिव और विष्णु (Shiva and Vishnu) की संतान ही उसे मार सकती है।
भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर भगवान शिव के साथ संयोग किया, जिससे अयप्पा का जन्म हुआ। बड़े होकर उन्होंने महिषी का वध किया और देवताओं को उनके आतंक से मुक्त कराया। दक्षिण भारत में भगवान अयप्पा की विशेष रूप से पूजा की जाती है, खासकर सबरीमाला मंदिर में।
भगवान शिव केवल गणेश और कार्तिकेय के ही पिता नहीं थे, बल्कि उनकी कई अन्य संतानें भी थीं, जिनका उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। इनमें से कुछ संतानों ने देवताओं की रक्षा के लिए जन्म लिया, जबकि कुछ ने राक्षसों के रूप में जन्म लेकर संसार में आतंक मचाया। प्रत्येक संतान का जन्म किसी न किसी विशेष उद्देश्य से हुआ था, जिससे हमें हिंदू धर्म (Hinduism) की रहस्यमयी और अद्भुत कहानियों की झलक मिलती है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. भगवान शिव की कितनी संतानें हैं?
भगवान शिव की कुल आठ संतानें मानी जाती हैं—गणेश, कार्तिकेय, अशोक सुंदरी, मनसा देवी, ज्योति, अंधक, जालंधर और अयप्पा।
2. भगवान अयप्पा का जन्म कैसे हुआ?
भगवान अयप्पा का जन्म भगवान शिव और भगवान विष्णु के मोहिनी रूप के संयोग से हुआ था।
3. क्या अंधक वास्तव में भगवान शिव के पुत्र थे?
हां, पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव के शरीर से पसीने की बूंदों से अंधक का जन्म हुआ था।
4. भगवान जालंधर कौन थे?
जालंधर असुरों का राजा था, जिसका जन्म भगवान शिव की तीसरी आंख से निकली अग्नि से हुआ था।
5. अशोक सुंदरी का क्या महत्व है?
अशोक सुंदरी माता पार्वती की पुत्री थीं, जिनका जन्म उनके अकेलेपन को दूर करने के लिए हुआ था।