Mohini Ekadashi Vrat: जानिए, भगवान विष्णु ने क्यों धारण किया था मोहिनी रूप और इस व्रत से जुड़ी मान्यता के बारे में…
Mohini Ekadashi Vrat: सनातन धर्म में एकादशी तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी तिथि के दिन माता लक्ष्मी और भगवान श्री हरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है और उनके सम्मान में व्रत भी रखा जाता है। हिंदू पंचांग (Hindu Calendar) के अनुसार साल के बारह महीनों में 24 एकादशी व्रत किए जाते हैं।

इसके अलावा, हर वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (Ekadashi Date) को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी पर व्रत करने से 100 यज्ञों के बराबर फल मिलता है। इस रिपोर्ट में हमें मोहिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में बताएं।
क्या है विशेषज्ञ की राय?
अयोध्या के ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम के अनुसार हिंदू पंचांग के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत (Fast of Mohini Ekadashi) वास्तव में हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस वर्ष एकादशी तिथि 7 मई को सुबह 10:19 बजे से शुरू होकर 8 मई को दोपहर 12:29 बजे समाप्त होगी। 8 मई, गुरुवार को मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा।
हर पाप का हो जाता है नाश
धार्मिक मान्यता है कि मोहिनी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही, इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। एकादशी तिथि के दिन जरूरतमंदों और गरीबों को यथाशक्ति दान देने से देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
धार्मिक परंपराओं (Religious Traditions) में कहा गया है कि वैशाख माह की एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का अवतार लिया था। समुद्र मंथन के बाद जब राक्षसों ने अमृत छीन लिया था, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाया था। हर साल वैशाख महीने में लोग इस घटना की याद में मोहिनी एकादशी का व्रत मनाते हैं।