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हनुमान जी ने पंचमुखी रूप कैसे और क्यों धारण किया…

Panchmukhi Hanuman: हनुमान जी का पंचमुखी रूप उनकी अद्वितीय शक्तियों और भक्ति का प्रतीक है। इस रूप का धारण करना पौराणिक कथाओं में उनकी असाधारण साहस और संकल्प को दर्शाता है। यह प्रसंग रामायण (Ramayana) से जुड़ा हुआ है, जब लंका विजय के दौरान अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को बंदी बना लिया था। आइए विस्तार से जानते हैं कि हनुमान जी ने यह रूप कैसे और क्यों धारण किया।

Hanuman ji
Hanuman ji

अहिरावण का षड्यंत्र

रावण का भाई (या कुछ मान्यताओं के अनुसार पुत्र) अहिरावण पाताल लोक का राजा और एक मायावी तांत्रिक (illusionist Tantric) था। उसने राम और लक्ष्मण को धोखे से बंदी बनाने की योजना बनाई। अपनी मायावी शक्तियों के माध्यम से वह राम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले गया, जहां उसने उन्हें बलि चढ़ाने की योजना बनाई थी। अहिरावण का उद्देश्य रावण की मदद करना और राम-लक्ष्मण को समाप्त करना था, ताकि लंका युद्ध में रावण की हार को टाला जा सके।

हनुमान जी का पाताल लोक गमन

जब हनुमान जी को राम और लक्ष्मण के बंदी बनाए जाने की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत उनकी रक्षा के लिए पाताल लोक की ओर प्रस्थान किया। अपनी असाधारण शक्तियों और साहस के बल पर हनुमान जी ने पाताल लोक का मार्ग खोज निकाला और वहां पहुंच गए।

मकरध्वज से भेंट

पाताल लोक के द्वार पर हनुमान जी का सामना मकरध्वज नामक एक योद्धा से हुआ। मकरध्वज पाताल लोक का द्वारपाल था और उसने हनुमान जी को अंदर जाने से रोका। दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ।

मकरध्वज की उत्पत्ति की कथा

मकरध्वज ने बताया कि वह हनुमान जी का पुत्र है। यह सुनकर हनुमान जी चकित हो गए। उसने बताया कि जब हनुमान जी ने लंका दहन के दौरान समुद्र में छलांग लगाई थी, तब उनके पसीने की एक बूंद समुद्र में गिर गई थी। उस बूंद से मकरध्वज (Capricorn) का जन्म हुआ और उसका पालन पोषण मछलियों ने किया। बाद में अहिरावण ने उसे अपना द्वारपाल नियुक्त कर दिया।

हनुमान जी का स्नेह और मार्गदर्शन

सच्चाई जानने के बाद हनुमान जी ने मकरध्वज को अपनी पहचान बताई और उसे गले लगाया। मकरध्वज ने अपनी श्रद्धा के कारण हनुमान जी को अहिरावण तक पहुंचने का मार्ग दिखाया।

पाँच दीयों का रहस्य

हनुमान जी को पता चला कि अहिरावण की जीवन शक्ति पाँच अलग-अलग दीयों (दीपों) में स्थित है। ये दीये पाताल लोक की पाँच दिशाओं में रखे गए थे, और अहिरावण को मारने के लिए उन सभी दीयों को एक साथ बुझाना आवश्यक था।

पंचमुखी रूप का धारण करना

इस कठिन कार्य को पूरा करने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया। पंचमुखी हनुमान (Panchmukhi Hanuman) जी का यह रूप अत्यंत अद्वितीय था, जिसमें उनके पाँच मुख थे:

पूर्व मुख (हनुमान): यह मुख उनकी मूल शक्ति और साहस का प्रतीक है।
दक्षिण मुख (नरसिंह): यह मुख दुष्टों के संहार और रक्षात्मक शक्ति का प्रतीक है।
उत्तर मुख (वराह): यह मुख पृथ्वी और सृजन के प्रतीक के रूप में है।
पश्चिम मुख (गरुड़): यह मुख विष और संकट को नष्ट करने का प्रतीक है।
ऊपर मुख (हयग्रीव): यह मुख ज्ञान और विवेक का प्रतीक है।
इन पाँचों मुखों का उपयोग करके हनुमान जी ने एक ही समय में पाँचों दीयों को बुझा दिया और अहिरावण का अंत कर दिया।

राम और लक्ष्मण की मुक्ति

पंचमुखी हनुमान जी ने अपनी बुद्धिमत्ता और साहस (Wisdom and Courage) का परिचय देते हुए अहिरावण का वध किया। इसके बाद उन्होंने राम और लक्ष्मण को बंदीगृह से मुक्त कराया और सुरक्षित लंका वापस ले आए।

पंचमुखी हनुमान जी की महिमा

हनुमान जी का पंचमुखी रूप उनके अद्वितीय साहस, भक्ति, और बल का प्रतीक है। इस रूप में उन्होंने यह सिखाया कि कठिन से कठिन कार्य को भी दृढ़ संकल्प और सामर्थ्य के साथ पूरा किया जा सकता है।

पंचमुखी हनुमान की पूजा का महत्व

पंचमुखी हनुमान जी का पूजन करने से विशेष शक्ति, साहस, और आत्मविश्वास (Strength, Courage, and Confidence) प्राप्त होता है।
यह रूप हर प्रकार के संकटों और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाव करता है।
पंचमुखी हनुमान की आराधना करने से भक्तों को जीवन में सफलता और शांति का अनुभव होता है।

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