पूरे धरती पर एक ऐसा लोक जहां कलयुग आजतक प्रवेश नहीं कर पाया, इसके दर्शन के बिना अधूरी है चारधाम यात्रा
Naimisharanya: कलयुग का दूसरा चरण जारी है और इसका प्रभाव हर जगह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। लेकिन भारत में एक ऐसा पवित्र स्थान है जहां कलयुग का प्रभाव आज तक नहीं पहुंचा। यह स्थान इतिहास और आध्यात्मिकता से भरपूर है, और इसके दर्शन के बिना चारधाम यात्रा को अधूरा माना जाता है। इस जगह को “तीर्थों का तीर्थ” कहा गया है और इसका उल्लेख वेदों, पुराणों (Vedas, Puranas) और कई हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है।

श्रीमद्भागवत महापुराण, महाभारत, वायु पुराण, वामन पुराण, पद्म पुराण, शिव पुराण, देवी भागवत पुराण, यजुर्वेद, अग्नि पुराण, गरुड़ पुराण, स्कंद पुराण, विष्णु पुराण, कालिका तंत्र, कर्म पुराण, शक्ति यामल तंत्र, श्रीरामचरित मानस और योगिनी तंत्र जैसे अनेक ग्रंथों में इस स्थान का उल्लेख किया गया है।
यही वह स्थान है जहां महान ग्रंथों की रचना हुई। महाभारत काल में युधिष्ठिर और अर्जुन भी यहां आए थे। प्राचीन काल में 88,000 ऋषियों और मुनियों ने यहां कठोर तपस्या की थी, इसीलिए इसे तपोभूमि कहा जाता है। वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड में भी इस स्थान का उल्लेख मिलता है, जहां लव-कुश ने गोमती नदी के तट पर श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ में वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण का गायन किया था।
नैमिषारण्य – एक दिव्य तीर्थस्थल
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित नैमिषारण्य एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है। यह लखनऊ से 80 किलोमीटर दूर गोमती नदी के किनारे स्थित है। इसे नैमिष, नीमषार और नैमिषारण्य (Naimish, Neemshar and Naimisharanya) के नाम से भी जाना जाता है। नैमिष शब्द का अर्थ है निमेष (पल भर) और अरण्य का अर्थ है वन, अर्थात एक ऐसा स्थान जो दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण है।
कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसे ध्यान और योग के लिए सबसे उत्तम स्थान बताया था। यहां के मुख्य दर्शनीय स्थल हैं:
- चक्रतीर्थ
- भूतेश्वरनाथ मंदिर
- व्यास गद्दी
- हवन कुंड
- ललिता देवी मंदिर
- पंचप्रयाग
- शेष मंदिर
- हनुमान गढ़ी
- शिवाला-भैरव जी मंदिर
- पंच पांडव मंदिर
- पंच पुराण मंदिर
- माँ आनंदमयी आश्रम
- नारदानन्द सरस्वती आश्रम (देवपुरी मंदिर)
- रामानुज कोट
- रुद्रावर्त
चक्रतीर्थ – नैमिषारण्य का हृदय स्थल
नैमिषारण्य रेलवे स्टेशन से लगभग 1 मील दूर चक्रतीर्थ नामक सरोवर स्थित है। यह एक बड़ा गोलाकार जलाशय (Circular Reservoir) है, जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं और इसकी परिक्रमा करते हैं। जलाशय के चारों ओर सीढ़ियां बनी हुई हैं और कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं।
चक्रतीर्थ की पौराणिक कथा
एक कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध के बाद 88,000 ऋषियों ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की कि उन्हें तपस्या के लिए एक पवित्र और शांत भूमि बताई जाए। वे कलयुग के प्रभाव से चिंतित थे।
भगवान ब्रह्मा ने अपने मन से एक दिव्य चक्र उत्पन्न किया और ऋषियों से कहा कि वे इस चक्र के पीछे चलते जाएं। जिस स्थान पर इस चक्र का मध्य भाग (नेमि) स्वयं गिर जाए, वह स्थान पृथ्वी का आध्यात्मिक केंद्र (Spiritual Center) होगा और वहां कलयुग का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
यह चक्र इसी स्थान पर गिरा, जिसके कारण इसे नैमिषारण्य कहा गया और यह जगह चक्रतीर्थ के नाम से प्रसिद्ध हो गई।
यहीं पर महर्षि दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी अस्थियों का दान किया था, जिससे इंद्र के वज्र अस्त्र का निर्माण हुआ। यह भी कहा जाता है कि इस पवित्र भूमि के दर्शन किए बिना सभी तीर्थ यात्राएं अधूरी मानी जाती हैं।
नैमिषारण्य की 84 कोस परिक्रमा
यहां 84 कोस की परिक्रमा की जाती है, जो हर साल फाल्गुन माह की अमावस्या के बाद की प्रतिपदा तिथि से पूर्णिमा तक चलती है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु इस पवित्र स्थल की परिक्रमा कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।
अन्य प्रमुख स्थल
नैमिषारण्य में कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- व्यास शुकदेव मंदिर – यह मंदिर महर्षि वेदव्यास और उनके शिष्य शुकदेव जी को समर्पित है। यहां व्यास गद्दी भी स्थित है, जहां महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी।
- दशाश्वमेध टीला – यहां भगवान श्रीकृष्ण और पांडवों (Shri Krishna and the Pandavas) की मूर्तियां स्थापित हैं।
- चारधाम मंदिर – यह मंदिर जगन्नाथ धाम, बद्रीनाथ धाम, द्वारिकाधीश धाम और रामेश्वरम धाम का प्रतीक है और महर्षि गोपालदास द्वारा स्थापित किया गया था।
निष्कर्ष
नैमिषारण्य केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक धरोहर है। यहां की पवित्रता और दिव्यता (Holiness and Divinity) हर भक्त को आध्यात्मिक ऊर्जा और आंतरिक शांति प्रदान करती है। यह ऋषि-मुनियों की तपोभूमि, पवित्र ग्रंथों की जन्मस्थली और कलयुग से मुक्त भूमि है।
अगर आप चारधाम यात्रा कर रहे हैं, तो नैमिषारण्य के दर्शन अवश्य करें, क्योंकि इसके बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. नैमिषारण्य को कलयुग मुक्त क्यों माना जाता है?
यह माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा द्वारा उत्पन्न चक्र के गिरने के कारण यह स्थान पृथ्वी का आध्यात्मिक केंद्र बना और कलयुग के प्रभाव से मुक्त रहा।
2. नैमिषारण्य के चक्रतीर्थ का क्या महत्व है?
चक्रतीर्थ वह स्थान है जहां भगवान ब्रह्मा का दिव्य चक्र गिरा था। इसे तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है और यहां स्नान करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।
3. महर्षि दधीचि का नैमिषारण्य से क्या संबंध है?
यही वह स्थान है जहां महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थियां दान की थीं, जिससे इंद्र के वज्र अस्त्र का निर्माण हुआ।
4. नैमिषारण्य कैसे पहुंचा जा सकता है?
नैमिषारण्य लखनऊ से 80 किमी दूर, उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है। यह सड़क और रेल मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
5. क्या नैमिषारण्य चारधाम यात्रा का हिस्सा है?
हालांकि यह औपचारिक रूप से चारधाम यात्रा का हिस्सा नहीं है, लेकिन बिना नैमिषारण्य के दर्शन किए चारधाम यात्रा अधूरी मानी जाती है।