आंध्र प्रदेश के इस जिले में आज भी मौजूद है भगवान विष्णु की लेटी हुई अनोखी प्रतिमा
Andhra Pradesh: विजयवाड़ा के तटीय बंदरगाह शहर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उंदावल्ली गुफाएँ, भारत के समृद्ध इतिहास और अद्भुत कला और वास्तुकला का जीता-जागता उदाहरण हैं। यह स्थल न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि यहां की पत्थरों पर की गई बारीक कारीगरी और अद्वितीय वास्तुकला भी भारतीय सांस्कृतिक (Indian Cultural) धरोहर को दर्शाती है। यह गुफा अपने खूबसूरत स्तंभों और भगवान विष्णु की विशाल लेटी हुई प्रतिमा के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त, आंध्र प्रदेश अपने पर्यावरण-पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसमें खूबसूरत घाटियाँ, पहाड़ियाँ, झीलें और मैदान शामिल हैं। उंदावल्ली गुफाएँ इन सभी की एक अनमोल कड़ी हैं।
उंदावल्ली गुफाओं में देखने योग्य क्या है?
उंदावल्ली गुफाएँ अपनी चार मंजिला चट्टान-कट संरचना के लिए जानी जाती हैं। यहाँ हर मंजिल पर कुछ विशेष और अनोखा देखने को मिलता है:
भूतल:
गुफा के भूतल पर आपको अधूरी खंभों वाली दीवारें दिखाई देंगी, जो उस समय की निर्माण तकनीक और वास्तुकला (Technology and Architecture) को दर्शाती हैं।
पहली मंजिल:
यहां आपको भगवान गणेश और अन्य देवताओं की मूर्तियां देखने को मिलेंगी, जो इस जगह की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को और भी बढ़ाती हैं।
दूसरी मंजिल:
दूसरी मंजिल इस गुफा का मुख्य आकर्षण है, जहाँ भगवान पद्मनाभस्वामी (Lord Padmanabhaswamy) की लेटी हुई प्रतिमा स्थित है। यह प्रतिमा पूरी तरह से ग्रेनाइट पत्थर से बनी हुई है और अद्भुत शिल्प कौशल का उदाहरण है।
तीसरी मंजिल:
यहाँ पर कुछ खास देखने को तो नहीं मिलता, लेकिन इस ऊँचाई से गुफा के आसपास का नज़ारा बेहद खूबसूरत और मनमोहक है। खासतौर पर सूर्यास्त का दृश्य यहाँ से देखने लायक होता है।
गुफा के सामने एक खूबसूरत बगीचा भी है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है। यदि आप फोटोग्राफी का शौक रखते हैं तो अपना कैमरा ज़रूर साथ लाएं।
उंदावल्ली गुफाओं का मुख्य आकर्षण
उंदावल्ली गुफाओं का सबसे बड़ा आकर्षण इसकी चार मंजिला संरचना और भगवान विष्णु की विशाल लेटी हुई प्रतिमा है। यह प्रतिमा ग्रेनाइट पत्थर से बनाई गई है और इसे दक्षिण भारत में भगवान विष्णु के सबसे प्राचीन प्रतिनिधित्वों में से एक माना जाता है। प्रतिमा के ऊपर गरुड़ भगवान की आकृति उकेरी गई है, जो इसे और भी दिव्य और अनोखा बनाती है।
गुफा के अंदर की दीवारों पर वैष्णव देवताओं के चित्र और महाकाव्य रामायण के कई दृश्य उत्कीर्ण हैं। इसके अलावा, यहाँ भगवान गणेश, भगवान नरसिंह और भगवान हनुमान की मूर्तियाँ भी देखी जा सकती हैं।
उंदावल्ली गुफाओं का ऐतिहासिक महत्व
आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में कृष्णा नदी (Krishna River) के तट पर स्थित यह गुफा भारतीय वास्तुकला की एक उत्कृष्ट धरोहर है। बलुआ पत्थर से बनी ये गुफाएँ लगभग 1500 साल पुरानी मानी जाती हैं। इन्हें 6वीं से 7वीं शताब्दी के बीच पल्लव राजाओं द्वारा बनवाया गया था।
गुफाओं का निर्माण पूरी तरह से चट्टानों को काटकर किया गया है, जो प्राचीन भारत की अद्वितीय रॉक-कट तकनीक का अद्भुत उदाहरण है। इसके स्तंभ, मूर्तियां और संरचना यह साबित करते हैं कि उस समय की कला और वास्तुकला कितनी उन्नत थी।
गुफाओं का धार्मिक महत्व
उंदावल्ली गुफाएँ भगवान विष्णु, भगवान पद्मनाभस्वामी और भगवान नरसिंह को समर्पित हैं। यहाँ भगवान विष्णु की लेटी हुई विशाल प्रतिमा है, जो श्रद्धालुओं को अध्यात्म और शांति का अनुभव कराती है।
यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे दक्षिण भारत में वैष्णव परंपरा का एक अहम केंद्र भी माना जाता है। यहाँ आने वाले पर्यटक इस स्थान की भव्यता और आध्यात्मिकता में खो जाते हैं।
उंदावल्ली गुफाओं का प्राकृतिक सौंदर्य
गुफाओं के आसपास का प्राकृतिक दृश्य भी इसे खास बनाता है। यहाँ से कृष्णा नदी का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। सूरज की किरणें जब नदी पर पड़ती हैं, तो दृश्य मंत्रमुग्ध (Enchanted) कर देने वाला होता है।
गुफाओं के चारों ओर हरियाली और शांत वातावरण इसे पर्यटन के लिए एक आदर्श स्थल बनाते हैं। यह जगह उन यात्रियों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो भीड़-भाड़ से दूर शांति और सुकून चाहते हैं।
पर्यटकों के लिए सुझाव
- उंदावल्ली गुफाओं की सैर करते समय आरामदायक जूते पहनें, क्योंकि चट्टानों पर चढ़ना पड़ सकता है।
- अपना कैमरा साथ लाएं और सूर्यास्त का अद्भुत दृश्य कैद करना न भूलें।
- गर्मी के दिनों में यात्रा करते समय पानी की बोतल और सनस्क्रीन साथ रखें।