उत्तराखंड में स्थित इस मंदिर में छुपा है दुनिया के अंत का रहस्य, जानिए पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर की कहानी
पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर: एक रहस्यमयी शिव मंदिर
भारत में भगवान शिव के अनेक मंदिर और गुफाएं स्थित हैं, जो अपने रहस्यों और दिव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर। यह गुफा मंदिर न केवल अपनी पौराणिक मान्यताओं (Mythological beliefs) के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि कहा जाता है कि इसमें दुनिया के अंत का रहस्य छिपा हुआ है। यह गुफा समुद्र तल से लगभग 90 फीट गहरी और 160 मीटर लंबी है। आइए जानते हैं इस रहस्यमयी शिव मंदिर के बारे में विस्तार से।

कहां स्थित है पाताल भुवनेश्वर मंदिर?
पाताल भुवनेश्वर मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट कस्बे में स्थित है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए किसी पहाड़ पर चढ़ाई नहीं करनी पड़ती, बल्कि भक्तों को गुफा के भीतर प्रवेश करना होता है। यह मंदिर देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित है, जिससे इसकी रहस्यमयी और आध्यात्मिकता का आभास होता है।
एक अनोखा मंदिर जहां से होते हैं चारों धामों के दर्शन!
हिंदू पुराणों के अनुसार, पाताल भुवनेश्वर मंदिर एकमात्र ऐसा स्थान है जहां से भक्तों को चारों धामों – केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ और गंगोत्री – के दर्शन होते हैं। गुफा के भीतर भगवान शिव की जटाएं, माता भुवनेश्वरी, आदि गणेश, सात कुंड, मुक्ति द्वार, धर्म द्वार और अन्य देवी-देवताओं की आकृतियां मौजूद हैं। कहा जाता है कि ये आकृतियां प्राकृतिक (Shapes natural) रूप से निर्मित हैं और इनका रहस्य आज भी वैज्ञानिकों के लिए अनसुलझा है।
पाताल भुवनेश्वर मंदिर की खोज किसने की थी?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह गुफा मंदिर 33 कोटि देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्ण ने इस गुफा की खोज की थी, जिसका उल्लेख स्कंद पुराण और मानस खंड में मिलता है। इसके बाद द्वापर युग में पांडवों ने भी इस गुफा को खोजा और यहां भगवान शिव के साथ चौपड़ खेला था। बाद में, आदि शंकराचार्य ने 819 ईस्वी में इस गुफा का पुनः पता लगाया और यहां पूजा-पाठ की परंपरा शुरू की।
गणेश जी का कटा हुआ मस्तक है इस गुफा में!
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने क्रोधित होकर भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था, तब माता पार्वती के अनुरोध पर उन्होंने गणेश जी को हाथी का सिर प्रदान किया। लेकिन मान्यता यह भी है कि भगवान शिव (Lord Shiva) द्वारा काटा गया गणेश जी का असली मस्तक पाताल भुवनेश्वर गुफा में मौजूद है। यहां गुफा में एक शिला रूपी मूर्ति के ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल स्थित है, जिसे भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है।
पाताल भुवनेश्वर मंदिर के चार रहस्यमयी द्वार
पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि इस मंदिर में चार प्रमुख द्वार हैं:
रण द्वार
पाप द्वार
धर्म द्वार
मोक्ष द्वार
मान्यता है कि जब रावण की मृत्यु हुई थी, तब पाप द्वार हमेशा के लिए बंद हो गया। इसी तरह, महाभारत युद्ध (Mahabharata War) के बाद रण द्वार भी बंद हो गया। अब केवल धर्म द्वार और मोक्ष द्वार खुले हैं, जिससे भक्तगण दर्शन कर सकते हैं।
पाताल भुवनेश्वर मंदिर क्यों है खास?
यह गुफा मंदिर अपने आप में रहस्यों का भंडार है। यहां चार खंभे हैं, जिन्हें चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग) का प्रतीक माना जाता है। इनमें से कलियुग खंभे को छोड़कर बाकी तीन खंभों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
इसके अलावा, इस गुफा में स्थित शिवलिंग का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। मान्यता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब प्रलय आ जाएगी और दुनिया का अंत हो जाएगा।
कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर मंदिर?
यहां तक पहुँचने के लिए तीनों मार्ग उपलब्ध हैं:
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट (243 किमी दूर) है।
रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर (154 किमी दूर) है।
सड़क मार्ग: यह गुफा पिथौरागढ़ से 90 किमी की दूरी पर स्थित है। वहां से टैक्सी या बस से यहां पहुंचा जा सकता है।
पाताल भुवनेश्वर मंदिर जाने का सही समय?
अगर आप इस दिव्य स्थान की यात्रा करना चाहते हैं, तो मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच यहां जाना सबसे अच्छा माना जाता है। इन महीनों में मौसम सुहावना रहता है और यात्रा करना आसान होता है।
पाताल भुवनेश्वर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी धरोहर है, जिसे अब तक पूरी तरह समझा नहीं जा सका है। यह मंदिर अपने प्राकृतिक चमत्कार, पौराणिक मान्यताओं और रहस्यमयी आकृतियों (Natural wonders, mythological beliefs and mysterious figures) के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर आध्यात्मिकता, इतिहास और प्रकृति का एक अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. पाताल भुवनेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
यह मंदिर अपनी गुफा में छिपे 33 कोटि देवी-देवताओं, चार धामों के दर्शन और शिवलिंग के बढ़ते आकार के कारण प्रसिद्ध है।
2. क्या पाताल भुवनेश्वर मंदिर में भगवान गणेश का मस्तक मौजूद है?
हां, मान्यता है कि भगवान शिव द्वारा काटा गया भगवान गणेश का असली मस्तक इस गुफा में मौजूद है।
3. पाताल भुवनेश्वर मंदिर की खोज किसने की थी?
सबसे पहले त्रेता युग में राजा ऋतुपर्ण ने इसकी खोज की थी, बाद में पांडवों और आदि शंकराचार्य ने इसे पुनः खोजा और इसे आध्यात्मिक केंद्र बनाया।
4. पाताल भुवनेश्वर मंदिर के चार द्वार कौन-कौन से हैं?
रण द्वार, पाप द्वार, धर्म द्वार और मोक्ष द्वार। इनमें से रण और पाप द्वार बंद हो चुके हैं।
5. पाताल भुवनेश्वर मंदिर कब जाएं?
मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच इस मंदिर की यात्रा करना सबसे अच्छा माना जाता है।