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मथुरा का नामकरण कैसे हुआ? क्या है मथुरा का महत्व? जानिए …

Naming of Mathura: भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों में मथुरा का स्थान सर्वोपरि है। यह प्राचीन नगर न केवल भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध है, बल्कि इसका इतिहास और नामकरण भी उतना ही रोचक और गूढ़ है। मथुरा का उल्लेख अनेक पौराणिक ग्रंथों, महाकाव्यों और ऐतिहासिक ग्रंथों (scriptures, epics and historical texts) में मिलता है। इसके नामकरण की प्रक्रिया कई कालखंडों से गुजरी है और इसने कई नामों से अपनी पहचान बनाई है।

Naming of mathura
Naming of mathura

इस लेख में, हम मथुरा के नामकरण की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे और समझेंगे कि कैसे यह नगर मधुपुर, मधुवन, मधुपुरी आदि नामों से होता हुआ मथुरा कहलाया। साथ ही, हम इसके ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व पर भी प्रकाश डालेंगे।

मथुरा का प्राचीन नाम और इतिहास

मथुरा के प्रारंभिक नाम
मथुरा को प्राचीन काल में मधुपुरी, मधुपुर, मधुवन, मधुदानव नगरी जैसे नामों से जाना जाता था। इसका सबसे पुराना उल्लेख वेदों और रामायण जैसे पौराणिक ग्रंथों में मिलता है।

मथुरा का नाम राजा मधु के नाम पर पड़ा था, जो यादव वंश के एक प्राचीन शासक माने जाते हैं।
वाल्मीकि रामायण में इस नगर को मधुपुर कहा गया है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, मथुरा का नाम मधु दैत्य के कारण पड़ा, जो एक शक्तिशाली असुर था और उसने इस नगर की स्थापना की थी। कुछ कथाओं के अनुसार, मधु दैत्य एक पराक्रमी शासक था, जिसने घने जंगलों के बीच एक सुंदर और समृद्ध नगरी बसाई थी। मधु दैत्य के पुत्र लवणासुर ने इस नगर को आगे विकसित किया और यह क्षेत्र उसके शासन में आया।

शत्रुघ्न द्वारा मथुरा पर विजय

रामायण के अनुसार, जब भगवान श्रीराम (Lord Sriram) अयोध्या का शासन संभाल रहे थे, तब उनके अनुज शत्रुघ्न को मधुपुरी (मथुरा) पर आक्रमण करने का आदेश मिला।

शत्रुघ्न ने मधुपुरी पर आक्रमण किया और लवणासुर का वध किया।
लवणासुर के मारे जाने के बाद, शत्रुघ्न ने इस भूमि पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।
इस नगर को उन्होंने नया रूप दिया और यह मधुवन के नाम से प्रसिद्ध हुआ, क्योंकि यह क्षेत्र चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ था।
समय के साथ, मधुवन का नाम मधुपुरी और फिर मथुरा हो गया।

मथुरा का ऐतिहासिक महत्व

प्राचीन काल में मथुरा का स्थान

मथुरा का इतिहास महाभारत काल, मौर्य काल, कुषाण काल और गुप्त काल तक फैला हुआ है। यह नगर सदियों तक भारत की सांस्कृतिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है।

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, मथुरा सुरसेना साम्राज्य की राजधानी बनी।
यह नगर यदुवंश का प्रमुख केंद्र रहा, जो आगे चलकर भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा।
बौद्ध ग्रंथों में भी मथुरा का उल्लेख मिलता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह नगर बौद्ध धर्म के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है।

महाभारत काल में मथुरा की भूमिका

महाभारत के अनुसार, मथुरा यादवों की राजधानी थी और यही भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि भी थी।

कंस, जो श्रीकृष्ण का मामा था, इस नगर का शासक था।
कंस के अत्याचारों से जनता त्रस्त थी, जिसे श्रीकृष्ण ने समाप्त किया और मथुरा को मुक्त किया।
श्रीकृष्ण ने बाद में द्वारका बसाई, लेकिन मथुरा हमेशा उनकी जन्मस्थली के रूप में पूजनीय बनी रही।
मथुरा के अन्य ऐतिहासिक नाम और उनका महत्व
मथुरा के कई नामों का उल्लेख विभिन्न ग्रंथों में मिलता है। इनमें से प्रमुख हैं:

मधुपुरी – यह नाम मधु दैत्य के कारण पड़ा।
मधुवन – जब शत्रुघ्न ने इसे जीता, तब यह घने जंगलों से घिरा था।
मधुपुर – यह नाम भी मधु दैत्य और उसके वंशजों से जुड़ा हुआ है।
सुरसेनपुरी – यह नाम तब प्रचलित हुआ जब मथुरा सुरसेना साम्राज्य की राजधानी बनी।
ब्रजभूमि – श्रीकृष्ण के कारण यह ब्रजभूमि कहलाने लगी।

मथुरा का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

भगवान श्रीकृष्ण और मथुरा

मथुरा का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व (Religious significance) श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ा है। श्रीकृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था।
उनकी जन्मभूमि को आज कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के रूप में पूजा जाता है।
इस नगर में द्वारकाधीश मंदिर, विश्राम घाट, राधाकुंड, गोवर्धन पर्वत जैसे कई महत्वपूर्ण स्थल हैं।

बौद्ध धर्म और मथुरा

मथुरा केवल हिंदू धर्म का केंद्र ही नहीं, बल्कि बौद्ध धर्म का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।
कुषाण काल (100-300 ईस्वी) में मथुरा में बौद्ध धर्म का प्रभाव था और यहां कई बौद्ध स्तूप बनाए गए।
बौद्ध धर्म की प्रसिद्ध मथुरा कला शैली यहीं विकसित हुई थी।

जैन धर्म और मथुरा

मथुरा जैन धर्म के लिए भी एक पवित्र स्थल है।
यह भगवान नेमिनाथ (24वें तीर्थंकर) की जन्मस्थली मानी जाती है।
यहां कई प्रसिद्ध जैन मंदिर स्थित हैं।
मथुरा का आधुनिक स्वरूप और उसकी महत्ता
पर्यटन और तीर्थ यात्रा का केंद्र
आज मथुरा एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल बन चुका है।

हर साल लाखों श्रद्धालु श्रीकृष्ण जन्मभूमि और अन्य मंदिरों के दर्शन करने आते हैं।
जन्माष्टमी और होली के अवसर पर यहां भव्य आयोजन होते हैं, जो पूरे विश्व से भक्तों को आकर्षित करते हैं।
मथुरा और वृंदावन की रासलीला और होली उत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव

मथुरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि एक व्यापारिक और औद्योगिक नगर भी है।
यहां डेयरी उद्योग, हथकरघा, मूर्तिकला और पर्यटन का व्यापक प्रभाव है।
यह नगर भारत की आध्यात्मिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मथुरा का नामकरण केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि यह धर्म, संस्कृति और परंपराओं (Religion, culture and traditions) से गहराई से जुड़ा हुआ है। मधुपुरी से लेकर मथुरा तक की यह यात्रा केवल एक नाम की यात्रा नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के उत्थान और विकास का प्रतीक है।

मथुरा का इतिहास, इसकी धार्मिक मान्यता और सांस्कृतिक विरासत इसे भारत के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक बनाती है। चाहे वह रामायण काल में शत्रुघ्न का विजय अभियान हो, या महाभारत काल में श्रीकृष्ण का जन्म, या फिर आधुनिक काल में एक तीर्थस्थल के रूप में इसकी प्रसिद्धि, मथुरा सदियों से भारत की आध्यात्मिक धरोहर का केंद्र बनी हुई है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. मथुरा का सबसे पुराना नाम क्या था?
मथुरा का सबसे पुराना नाम मधुपुरी था, जिसे मधु दैत्य ने बसाया था।

2. मथुरा का नाम मथुरा कैसे पड़ा?
शत्रुघ्न द्वारा लवणासुर के वध के बाद इसे पहले मधुवन, फिर मधुपुरा और अंततः मथुरा कहा जाने लगा।

3. मथुरा का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है और यह हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

4. मथुरा कब और कैसे प्रसिद्ध हुई?
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में यह सुरसेना साम्राज्य की राजधानी बनी और बाद में श्रीकृष्ण के कारण यह प्रसिद्ध हो गई।

5. मथुरा में कौन-कौन से प्रमुख धार्मिक स्थल हैं?
कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, गोवर्धन पर्वत, राधाकुंड और विश्राम घाट यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।

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