The Hindu Temple

इस मंदिर में अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं हनुमान जी, जानिए कैसे हुआ था विवाह

भगवान हनुमान को रामायण के सबसे प्रभावशाली और पूजनीय पात्रों में से एक माना जाता है। वह श्रीराम के परम भक्त और साहस, निष्ठा, भक्ति, तथा सदाचार के प्रतीक हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने उनके गुणों के कारण उन्हें ‘सकल गुण निधानं’ कहा है। ऐसा विश्वास है कि हनुमान जी का नाम लेने मात्र से ही सभी प्रकार के भय और दुःख दूर हो जाते हैं।

हालांकि, रामायण और रामचरित मानस में हनुमान जी को ब्रह्मचारी के रूप में वर्णित किया गया है, परंतु पराशर संहिता (Parashara Samhita) के अनुसार हनुमान जी का विवाह भी हुआ था। यह विवाह अद्वितीय परिस्थितियों में संपन्न हुआ और इसके बावजूद वे ब्रह्मचारी ही बने रहे। आइए, जानते हैं इस कथा के पीछे की रोचक कहानी।

Hanuman ji ki patni

यहां पत्नी संग होती है हनुमान जी की पूजा

तेलंगाना राज्य के खम्मम जिले के येल्नाडू गांव में एक ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी अपनी पत्नी सुवर्चला (Wife Suvarchala) के साथ विराजमान हैं। यह मंदिर हैदराबाद से लगभग 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। येल्नाडू का यह मंदिर बहुत प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व रखता है।

विशेष बात यह है कि यह मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ पूजे जाते हैं। यहां भक्तों की गहरी आस्था है, और दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। हर वर्ष ज्येष्ठ शुद्ध दशमी (Jyeshtha Shuddha Dashami) के दिन यहां हनुमान जी और माता सुवर्चला के विवाह का उत्सव भी मनाया जाता है, जो बड़ी धूमधाम से आयोजित होता है।

कैसे हुई थी हनुमान जी की शादी?

हनुमान जी का विवाह विशेष परिस्थितियों में हुआ था। इस घटना का वर्णन पराशर संहिता में मिलता है। कथा के अनुसार, भगवान हनुमान ने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाया था। सूर्य देव के पास 9 विद्याओं का ज्ञान था, जिसे वे हनुमान जी को सिखाना चाहते थे।

सूर्य देव ने 5 विद्याएं तो हनुमान जी को सिखा दीं, लेकिन शेष 4 विद्याओं का ज्ञान केवल विवाहित व्यक्ति (Married Person) को ही दिया जा सकता था। इस समस्या के समाधान के लिए सूर्य देव ने हनुमान जी को विवाह करने का सुझाव दिया।

हनुमान जी का विवाह और ब्रह्मचर्य व्रत

शुरुआत में हनुमान जी इस विवाह के लिए सहमत नहीं हुए। वे ब्रह्मचारी रहना चाहते थे और विवाह के विचार से विचलित थे। लेकिन सूर्य देव ने उन्हें समझाया कि यह विवाह धर्म के पालन और विद्याओं की प्राप्ति के लिए आवश्यक है।

सूर्य देव ने यह भी बताया कि विवाह के बाद उनकी पत्नी, सुवर्चला, तपस्या कर पुनः सूर्य देव के तेज में विलीन हो जाएंगी। यह सुनकर हनुमान जी ने विवाह के लिए अपनी स्वीकृति दी।

इस प्रकार, हनुमान जी का विवाह सूर्य देव की तपस्वी और तेजस्वी पुत्री सुवर्चला के साथ हुआ। विवाह के बाद भी हनुमान जी ने अपना ब्रह्मचर्य व्रत बनाए रखा। उनकी पत्नी सुवर्चला ने भी विवाह के बाद तपस्या में लीन होकर एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया।

हनुमान जी की इस कथा से क्या शिक्षा मिलती है?

हनुमान जी की इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि धर्म और ज्ञान की प्राप्ति के लिए कभी-कभी हमें असाधारण परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, यह भी दिखाता है कि सच्चा ब्रह्मचर्य और आत्म-नियंत्रण (Celibacy and self-control) बाहरी जीवन परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होता।

येल्नाडू का यह मंदिर हनुमान जी के भक्तों के लिए एक प्रेरणा और आस्था का केंद्र है। यहां आने वाले भक्त उनकी कृपा से अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाने का अनुभव करते हैं।

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